जब भी हम होली का नाम सुनते हैं तो हमारे मन में आनंद भर जाता है और हो भी क्यों ना? यह त्योहार है ही इतना अधिक मनभावन । भाई को भाई से मिलाने के लिए, बिछड़ों को आपस में खेलने पर विवश करने के लिए और कुछ हँसी-ठिठोली इत्यादि करने के लिए भारतवर्ष में यह त्योहार अत्यधिक उपयुक्त माना जाता है। परंतु हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि होली का त्योहार वास्तव में क्या है? होली को हम कभी होलिका या होलाका इत्यादि के नामों से पुकारते हैं। हम यह भी जानते हैं कि मुख्यतः यह उत्तर भारत में मनाई जाती है | लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि होली का वास्तविक अर्थ या वास्तविक उद्देश्य क्या है ?
वेदों और पुराणों में
इसके लिए उचित ही कहा गया है कि-
''सर्वदुष्टापहो होम:
सर्व रोगोपशान्तये ।
क्रियतेऽस्यां द्विजै: पार्थ तेन सा
होलिका स्मृता ।।''
अर्थात् सभी प्रकार के
दोषों रोगों इत्यादि की शांति के लिए किया जाने वाला यज्ञ ही 'होलिका' के नाम से जाना जाता है।
हम सभी जानते हैं कि होली
जिस दिन मनाई जाती है, उससे एक दिन पहले हम रात्रि के समय बहुत सारी लकड़ियों को
इकट्ठा करके उसके अंदर विभिन्न तरह की वस्तुओं को डालकर होली जलाते हैं परंतु
वर्तमान समय की यह होली मनाई जाने की विधि प्राचीन समय में मनाए जाने वाली होली से
ही संबंधित है, जो यज्ञ से जुड़ी हुई है । अंतर केवल इतना है कि उस समय हमें अपने
उद्देश्यों का पता होता था और इस समय नहीं । वास्तव में होली का जो पर्व है वह
प्रकृति में फैलने वाले विभिन्न तरह के हानिकारक तत्वों को नष्ट करने के लिए और
सभी तरह के रोग नष्ट हो जाए इसलिए मनाया जाता था।
यह पर्व वसंतोत्सव के
आगमन पर भी मनाया जाता है इसलिए इसे वसंतोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। आज के
समय में हम जानते हैं कि होली रंगों के त्योहार के अतिरिक्त और कुछ नहीं रह गई है।
प्राचीन समय में इस उत्सव का उद्देश्य प्रकृति की शुद्धि था न कि रंगों का
अधिकाधिक उपयोग। प्रकृति से सीधा-सीधा जुड़ने के कारण इसका असर व्यक्ति के शारीरिक
और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। यदि पुराणों को देखें तो पुराणों में
हिरण्यकश्यप और नरसिंह अवतार की कथा या श्री कृष्ण से संबंधित कथा और इस प्रकार
अनेक कथाएँ होली पर आधारित हैं, जो कि हमें पुराणों में मिलती हैं। आज हमारा यह समझना बहुत
अधिक आवश्यक है कि होली जो कि प्रकृति से संबंधित थी, वह सिर्फ एक आकर्षण का
केंद्र, केवल रंगों का त्योहार
बनकर रह गया है, अपने वास्तविक अर्थ से कोसों दूर।
इसलिए हमारा यह कर्तव्य बनता है कि हम
लोगों को बताएँ कि यह त्योहार सिर्फ भारतवर्ष के किसी एक खास वर्ग का नहीं अपितु प्रकृति
के लिए किया हुआ संपूर्ण भारत का त्योहार है।
"आनंद, प्यार, खुशी, सेहत और धन की बौछार के
साथ आपकी होली रंगारंग हो !
प्रवीण शर्मा
सहायक अध्यापक
द मान
स्कूल