Tuesday 14 September 2021

विश्व गुरु बनती हिंदी

निराला जी के निरालेपन की काव्य है हिंदी,

टैगोर जी की चाहत, खुसरो का गान है हिंदी,

गर्वित हैं हम भारतवासी, हिंदुस्तान की शान है हिंदी।

हिंदी संवैधानिक रूप से भारत की राजभाषा और भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है हिंदी विश्व की तीसरी सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषा है।

विश्व आर्थिक मंच की गणना के अनुसार यह विश्व की दस शक्तिशाली भाषाओं में से एक है।

मॉरीशस, फ़िजी, गयाना, सूरीनाम, नेपाल और संयुक्त अरब अमीरात में भी हिंदी या इसकी मान्य बोलियों का उपयोग करने वाले लोगों की बड़ी संख्या  मौजू़द है । फरवरी 2019 में अबू धाबी में हिंदी को न्यायालय की तीसरी भाषा के रूप में भी मान्यता मिल चुकी है।

वेब, विज्ञापन, संगीत, सिनेमा और बाज़ार के क्षेत्र में हिंदी की मांग जिस तेजी से बढ़ी है वैसी किसी और भाषा में नहीं। विश्व के लगभग 150 विश्वविद्यालयों तथा सैकड़ों छोटे-बड़े केंद्रों में विश्वविद्यालय स्तर से लेकर शोध स्तर तक हिंदी के अध्ययन अध्यापन की व्यवस्था हुई है। विदेशों में 25 से अधिक पत्र- पत्रिकाएं लगभग नियमित रूप से हिंदी में प्रकाशित हो रही हैं।

यूएई के 'हम एफएम' सहित अनेक देश हिंदी कार्यक्रम प्रसारित कर रहे हैं, जिनमें बीबीसी, जर्मनी के डाॅयचे वेले, जापान के एनएचके वर्ल्ड और चीन के चाइना रेडियो इंटरनेशनल की हिंदी सेवा विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।

गूगल के अनुसार हर 5 वर्षों में हिंदी की सामग्री में 94% बढ़ोतरी हो रही है।

हिंदी में सजाल (वेबसाइट) चिट्ठे (ब्लॉग) विपत्र (ईमेल )गपशप (चैट( खोज (वेब सर्च) सरल मोबाइल संदेश (एस०एम०एस०) तथा अन्य हिंदी सामग्री उपलब्ध हैं। इस समय अंतरजाल पर हिंदी में अभिकलित्र के संसाधनों की भी भरमार है, और नित्य नए कंप्यूटर के उपकरण आते जा रहे हैं।

हिंदी का कोई भी लेख हिंदी सिनेमा के बिना अधूरा होगा बॉलीवुड हिंदी फिल्म उद्योग पर भारत के करोड़ों लोगों की धड़कनें अटकी रहती हैं। हॉलीवुड की अधिकतर फिल्में भी हिंदी में डब करके दिखाई जा रही हैं।

संयुक्त राष्ट्र रेडियो ने अपना प्रसारण हिंदी में भी करना आरंभ किया है। हिंदी को संयुक्त राष्ट्रसंघ की भाषा बनाए जाने के लिए भारत सरकार प्रयत्नशील है। अगस्त 2018 से संयुक्त राष्ट्र ने साप्ताहिक हिंदी समाचार बुलेटिन आरंभ किया है।

व्हाट्सएप और फेसबुक हिंदी और भारतीय भाषाओं के साथ सामंजस्य बैठा रहे हैं। हिंदी पत्रकारिता के एक नए युग का सूत्रपात हुआ है जिन्होंने कई जनांदोलनों को जन्म दिया है और यह चुनाव जिताने-हराने में भी उल्लेखनीय और हैरान करने वाली भूमिका निभा रही है। हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं का बाज़ार बहुत बड़ा है जिसके कारण बहुत सारी बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने उत्पाद और वेबसाइटें हिंदी और स्थानीय भाषाओं में ला रही हैं।

दिलों को जोड़ती हिंदी भाषा विचार-विनिमय एवं आत्म प्रकाशन का महत्त्वपूर्ण साधन है। वह सामाजिक संगठन का मूलाधार भी है। भाषा, एकता, राष्ट्र की अखंडता एवं विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 

एक सशक्त सर्वसमर्थ राष्ट्र के निर्माण के लिए संपूर्ण राष्ट्र में एक ही भाषा की व्याप्ति होनी चाहिए। उसका आधार एक ही भाषा होनी चाहिए। एक ही भाषा सूत्र में संपूर्ण राष्ट्र को अग्रसर होना चाहिए। इससे विचार एकता के साथ ही सांस्कृतिक एवं धार्मिक एकता को भी बल मिलता है, पोषण मिलता है। 

यह स्वतंत्र एवं समृद्ध राष्ट्र के लिए अपरिहार्य है, इसलिए प्रत्येक समुन्नत एवं स्वाभिमानी देश की अपनी एक प्रमुख भाषा अवश्य होती है, जिसे राष्ट्रभाषा का पद गौरव प्राप्त होता है : उदाहरण स्वरूप रूस, अमेरिका, चीन, जापान, फ्रांस, इंग्लैंड आदि को लिया जा सकता है। 

अनेक विदेशी विद्वान भारत में रहकर हिंदी में शोध कार्य कर रहे हैं अंग्रेजी में उच्चारणों की अनियमितता एवं अनिश्चितता से सभी परिचित हैं। हिंदी की देवनागरी लिपि तो विश्व की सभी लिपियों से अधिक पूर्ण एवं वैज्ञानिक सिद्ध हो चुकी है।

अजय कुमार चुघ

हिंदी विभागाध्यक्ष

'द मान स्कूल' दिल्ली