मकर संक्रांति का त्योहार सूर्य देव के मकर राशि में प्रवेश के रूप में मनाया जाता है | हिंदू धर्म में बारह राशियाँ होती हैं | जिसमें से दसवीं राशि मकर है | जब सूर्य इस राशि में प्रवेश करता है उस दिन मकर संक्रांति मनाई जाती है | संक्रांति शब्द का अर्थ है - बदलाव का समय | सूर्य हर महीने एक नई राशि में प्रवेश करता है अगर वह मेष राशि में प्रवेश करता है तो वह मेष संक्रांति होती है | जब सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करता है तो हम उसे कन्या संक्रांति कहते हैं | सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के कारण इसे मकर संक्रांति कहते हैं |
मकर संक्रांति पर्व की विशेष महिमा है, इस दिन सूर्य उत्तरायण में प्रवेश करता है जिसके पश्चात् दिन, रात के मुकाबले लंबे होने लगते हैं | पुराणों के अनुसार यह तिल-तिल बढ़ता है इसलिए इस त्योहार में तिल को बहुत महत्त्व दिया जाता है | इस दिन तिलों का सेवन व उनका दान भी किया जाता है।
महाभारत के एक प्रसंग से भी सूर्य के उत्तरायण में प्रवेश के विशेष महत्त्व की जानकारी मिलती है, जब पितामह भीष्म अपने क्षत-विक्षत शरीर के साथ मृत्यु शैय्या पर थे, तो वे प्राण त्यागने के लिए सूर्य के उत्तरायण में जाने की प्रतीक्षा कर रहे थे।
मकर संक्रांति का त्योहार भारत तथा नेपाल में प्राचीन काल से मनाया जाता
रहा है। यह शरद ऋतु के अंत को भी दर्शाता है | यह पर्व भारत के विशेष त्योहारों में से एक है जो कि सूर्य चक्र के अनुसार मनाये जाते हैं | विक्रम संवत्
के अनुसार संक्रांति माघ के महीने का पहला दिन होता है इसलिए इसे माघी संक्रांति भी कहते हैं ।
उत्तर भारत में मकर संक्रांति पर तिल, गुड़ व खिचड़ी आदि का दान किया जाता है| वहीं पश्चिम भारत गुजरात में यह पतंगों का त्योहार है | यहाँ मकर संक्रांति पर भारी संख्या में पतंगें उड़ाई जाती हैं तथा गुजरात में यह त्योहार तीन दिनों तक मनाया जाता है |
पंजाब में उत्तरायण का स्वागत लोहड़ी के पर्व के रूप में किया जाता है । लोहड़ी पौष माह के अंतिम दिन सूर्यास्त के बाद मनाई जाती है । लोहड़ी प्रतीक है नई फसल का, नई शुरुआत का इसलिए नव विवाहित जोड़ों व नवजात शिशुओं के लिए पहली लोहड़ी का विशेष महत्त्व है | लोहड़ी आग जलाकर, उसके पास घेरा बनाकर व नाच - गाकर मनाई जाती है ।
दक्षिण भारत में उत्तरायण पोंगल के रूप में मनाया जाता है | यह उत्सव वहाँ चार दिन तक चलता है | यहाँ के लोग इस उत्सव को फसलों, अनाज व खेत में काम करने वाले जानवरों के साथ उल्लासपूर्वक मनाते हैं। इस दिन से तमिल नववर्ष की शुरुआत भी होती है | पोंगल दक्षिण भारत का एक प्रसिद्ध व्यंजन भी है |
सूर्योत्सव भारत के विभिन्न हिस्सों
में अलग-अलग नामों से मनाये जाते हैं | सूर्य हमारे जीवन का आधार है इसलिए यह पर्व हर जगह खुशी और उल्लास से परिपूर्ण है |
मीनू शर्मा
हिंदी विभाग
‘द मान स्कूल’
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