विश्व के अनेक उत्सवों के विषय में जानने के पश्चात् यह ज्ञात हुआ कि अधिकतर उत्सवों को एक सीमित क्षेत्र के निवासियों द्वारा मनाया जाता है अथवा कुछ ही देशों में उनका प्रचलन दिखाई देता है ।आप भले ही किसी भी देश के निवासी क्यों न हों या विदेश में कार्यरत हों परंतु आपका संबंध किसी-न-किसी सामाजिक अथवा धार्मिक उत्सव से अवश्य होता है । ये उत्सव व्यक्ति को अपनी सभ्यता, समाज व परिवार से जोड़ने का कार्य करते हैं।
‘गुणधर्मविहीनो
यो निष्फलं तस्य जीवितम्’ अर्थात् जो गुण और धर्म से रहित है उसका जीवन निष्फल है। भारत एक
बहुधार्मिकता की भावना का देश है अत: यहाँ सभी धर्मों,
उनके अनुयायियों व त्योहारों को सहर्ष स्वीकारा गया है। इसीलिए कहा भी गया है ‘दुर्लभं भारते जन्म मानुष्यं तत्र
दुर्लभम्’
अर्थात् भारत में जन्म लेना मनुष्य के लिए दुर्लभ है।
भारत में त्योहारों की
संख्या बहुत अधिक है ।अतः लोकप्रियता के आधार पर भारत के विशेष उत्सव की चर्चा
अवश्य कर सकते हैं ।
'दीपोत्सव' या 'दीपावली' भारत के सर्वाधिक लोकप्रिय उत्सवों में से एक है और इसकी
लोकप्रियता इस तथ्य से सिद्ध होती है कि इस उत्सव को एक या दो नहीं अपितु उत्तरी
गोलार्ध के कई देशों में मनाया जाता है; जिनमें 'ऑस्ट्रेलिया', 'न्यूजीलैंड',
'फिजी', 'कनाडा' जैसे समुन्नत देश भी सम्मिलित हैं।
'संस्कृत' भाषा के अनुसार 'दीपावली' शब्द का अर्थ 'दीपों
की पंक्ति' है। दीपावली
का प्रयोजन सामाजिक और आध्यात्मिक दोनों रूपों में देखा जाता है। सामाजिक रूप में
- बुराई पर अच्छाई की जीत व आध्यात्मिक रूप में- अंधकार पर प्रकाश की जीत।
दीपावली का प्रचलन रामायण काल से माना जाता है l कार्तिक मास की अमावस्या को श्री
राम चौदह वर्ष का वनवास पूर्ण करके अयोध्या लौटे और अयोध्या वासियों ने उनके
स्वागत में अनेक दीपों को प्रज्वलित कर अमावस्या के अंधकार को दूर किया और
दीपोज्वलन की परम्परा प्रारंभ हुई। दीपावली को कार्तिक मास में घटित कई अन्य
घटनाओं जैसे 'भगवान महावीर के मोक्ष दिवस',
'माता लक्ष्मी के अवतरण' 'अज्ञातवास समाप्त करके पांडवों का लौटना',
'राजा विक्रमादित्य का राजतिलक'
तथा 'आर्य
समाज की स्थापना' से
भी जोड़ा जाता है परंतु काल-क्रमानुसार यह भगवान श्री राम से ही सर्वाधिक संबंधित
है ।
वर्तमान समय में इस त्योहार को लक्ष्मी माता व गणेश जी की पूजा
करके, दीप जलाकर, मित्रों व संबंधियों में मिष्ठान्नों का वितरण, भिन्न-भिन्न प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन बनाकर मनाया जाता है।
ब्राह्मण वर्ग द्वारा दीप जलाने की प्रथा बहुत विशेष मानी गयी है। निम्नलिखित
श्लोक में भी दीपों से प्रार्थना की गयी है –
‘दीपज्योतिः परंब्रह्म दीपज्योतिर्जनार्दनः।
दीपो
हरतु मे पापं दीपज्योतिर्नमोऽस्तु ते’॥
आज की युवा पीढ़ी व बच्चे विस्फोटकों(पटाखों) से उत्सव मनाते हैं
परंतु इससे वायु व ध्वनि प्रदूषण की समस्या अपने चरम पर आ जाती है। भले ही प्रदूषण की समस्या के कारण विस्फोटकों
के प्रयोग पर रोक लगाई है परंतु फिर भी इनकी बिक्री अनधिकृत रूप से बाज़ारों में हो
रही है । अतः प्रत्येक माता-पिता, शिक्षक का यह कर्तव्य है कि वह युवा पीढ़ी व बच्चों का मार्गदर्शन
करें और कोविड-19 के समय कुछ विशेष सावधानियाँ अवश्य
रखें:-
Ø सार्वजनिक स्थानों पर जाने से बचें।
Ø बच्चे और वृद्ध घर से बाहर ना जाएँ।
Ø बाजारों से वस्तुएँ खरीदते समय सैनिटाइजर का प्रयोग अवश्य करें ।
Ø सैनिटाइजर के प्रयोग के बाद ज्वलनशील
पदार्थों के पास न जाएँ ।
अंत में आपसे यही निवेदन है कि आप सभी अपने संबंधियों का ध्यान रखें
और हर्षोल्लास पूर्वक इस उत्सव को मनाएँ l
"दीपोत्सव की
अनंत शुभकामनाएँ"
सधन्यवाद
प्रवीण शर्मा
हिंदी विभाग
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