भारत भूमि धार्मिक भूमि है। भारतीयों की प्रवृत्ति और आचरण धार्मिक हैं। ऐसी पवित्र भूमि में समय-समय पर अनेक महापुरुष उत्पन्न हुए जिन्होंने लोगों को धर्म का ज्ञान कराया व ईश्वर प्राप्ति का सच्चा मार्ग बताया, उन महापुरुषों में श्री गुरु नानक देव जी का नाम सदा स्मरण रहेगा । इनका जन्मदिवस प्रकाश दिवस के रूप में मनाया जाता है।
नानक जी का जन्म तलवंडी नामक गाँव में संवत् 1526 को कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ। तलवंडी का वर्तमान नाम ननकाना साहब है। इनके पिताजी का नाम मेहता कल्याण दास (मेहता कालू) और माता का नाम त्रिपता था।
इनकी रुचि बचपन से ही भगवान की भक्ति की ओर थी अतः पढ़ने की बजाय ये ईश्वर शरण में ही समय बिताते, जिसे देखकर उन्हें पढ़ाने वाले पंडित और मौलवी भी दंग रह जाते । गुरु नानक देव जी संस्कृत और अरबी भाषा के विद्वान् थे।
गुरु नानक जी के पिताजी ने उन्हें पशुओं को चराने का काम सौंपा । पशु खेत में चरते रहते और ये ईश्वर के भजन में मगन रहते। एक बार पशु चराते हुए ये बहुत दूर निकल गए और थक गए। धूप प्रचंड थी। गुरु नानक देव जी लेट गए और उन्हें नींद आ गई तभी एक साँप ने आकर उनके ऊपर छाया कर दी। वहाँ का शासक रायबुलार वहाँ से गुज़र रहा था। उसने देखा तो साँप को हटाने पहुँचा। साँप ने आदमी को देखा तो चुपके से चला गया। रायबुलार पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ा।
18 वर्ष की आयु में सुलखनी देवी से इनका विवाह हो गया इनके दो पुत्र हुए - श्री चंद और लक्ष्मीदास। पर ईश्वर भक्ति करने वाले श्री गुरु नानक देव जी का मन गृहस्थी में कैसे लगता? एक दिन इन्होंने गृहस्थी और नौकरी छोड़कर लोगों को दिव्य धर्म उपदेश देने का मार्ग चुना। इस भाँति गुरु नानक जी ने ईश्वर के प्रति जनता की रुचि जागृत करते हुए भ्रमण किया। वे मक्का- मदीना भी गए। वहाँ के मुसलमान भी उनसे बहुत प्रभावित हुए।
गुरु नानक जी के उपदेश थे - सच्चे मन से भगवान का भजन करो। संयम से जीवन बिताओ। परिश्रम की सच्ची कमाई करो। झूठ मत बोलो। परनिंदा और क्रोध मन को अपवित्र करते हैं इनसे बचो। हमें मधुर और परहितकारी वचन बोलने चाहियें। हमें उस भगवान को याद करना चाहिए, जो जल और थल में समा रहा है। किसी दूसरे शरीरधारी से जन्म लेने वाले और मरने वाले का नाम नहीं जपना चाहिए।
'तेरा भाणा मीठा लागे' शब्द कहते-कहते गुरु नानक देव जी ने नश्वर शरीर को त्याग दिया। गुरु नानक जी की वाणी 'गुरु ग्रंथ साहब' में लिखी हुई है। आज भारत के गुरुद्वारों में नर-नारी इसका प्रतिदिन पाठ करते हैं। गुरु नानक जी के अनुयायी विशेषत: सिक्ख धर्मावलंबी इन्हें अपना आदि गुरु मानते हैं।
पूनम बाला चुघ
सहायक अध्यापिका
'द मान स्कूल' दिल्ली
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