जीवन में वे कौन सी बातें हैं जो किसी भी इंसान को साधारण से असाधारण बनाती हैं क्या वह शिक्षा , पैसा , समृद्धि , ज्ञान ,नाम , कुल आदि हैं ? मैंने बहुत खोजा तो पाया कि वह है उस इंसान की सोच; उसके विचार; अगर आपकी सोच उच्च है, सकारात्मक है, आप में साहस है, भीड़ से अलग सोचने का; तो एक समय आता है जब भीड़ आपके पीछे खड़ी होगी | वह आपकी सोच ही है जो आपको साधारण से असाधारण बना सकती है । यह श्री मोहनदास करमचंद गाँधी की असीमित, असाधारण व सकारात्मक सोच ही थी जिसने उन्हें राष्ट्रपिता व महात्मा जैसी उपाधियाँ दिलवाईं । उनकी सोच एक आम मनुष्य से अलग थी यह उनके जीवन के इस प्रसंग से पता चलता है -
बालक मोहन बहुत ही शांत और शर्मीले थे,परन्तु वह बचपन से ही सही और ग़लत का अंतर जानते थे। एक बार उनके विद्यालय में एक शिक्षा अधिकारी निरीक्षण के लिए आये । उन्होंने अंग्रेज़ी के पाँच शब्द बोले और सभी छात्रों को उन्हें कॉपी में लिखने के लिए कहा। मोहनदास को उसमें से केवल चार ही शब्द लिखने आते थे। उनकी परेशानी उनके चेहरे पर साफ़ दिखाई दे रही थी। मास्टर जी भी मोहन की समस्या समझ चुके थे उन्होंने इशारे से मोहन को समझाया कि अपने सहपाठियों की कॉपी में से पाँचवाँ शब्द देखो और लिख लो। मोहन ने मास्टर जी के इशारे को अनदेखा किया और केवल चार शब्द लिखकर ही अपनी कॉपी जमा करा दी। मास्टर जी गुस्सा हुए परंतु मोहन खुश था । वह उस छोटी-सी आयु में भी यह जानते थे कि उन्होंने सही किया है। यह पढ़ने में छोटी-सी घटना लगती है किन्तु इस प्रकार का निर्णय लेने के लिए बहुत साहस और धैर्य चाहिए, यही वे बातें हैं जो इस प्रकार के महान चरित्र का निर्माण करती हैं ।मोहन ने उस दिन आसान रास्ता नहीं चुना बल्कि सही रास्ता चुना | उन्होंने जीवन भर यही किया आसान या ग़लत का नहीं बल्कि सही का साथ दिया |
अंतर्राष्ट्रीय अंहिसा दिवस महात्मा गाँधी के जन्म दिवस 2 अक्टूबर को पूरे विश्व में मनाया जाता है। भारत में इसे गांधी जयंती के रूप में मनाते है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 15 जून, 2007 को 2 अक्टूबर का दिन “अंतर्राष्ट्रीय अंहिसा दिवस” के रूप में मनाने की घोषणा की थी। महात्मा गाँधी सत्य और अहिंसा के पुजारी थे। देश को आज़ाद करवाने के लिए उन्होंने कभी हिंसा का सहारा नहीं लिया। महात्मा गांधी बहुत आध्यात्मिक और ईश्वर को मानने वाले थे। वो अपनी शुद्धि के लिए सप्ताह में एक दिन मौन व्रत रखते थे। वो अपनी वाणी पर संयम रखते थे।
हम आज स्वतंत्र भारत में उनकी जयंती मना रहे हैं | गाँधी जी ने हमें सिखाया कि अगर हम अपना निश्चय पक्का रखें तो बाकी लोगों की सोच को भी बदल सकते हैं | यह बात उनके इन शब्दों से और अधिक साफ़ हो जाती है ," पहले वो आप पर ध्यान नहीं देंगे, फिर वो आप पर हँसेंगे, फिर वो आप से लड़ेंगे , और तब आप जीत जाएँगे |"
मीनू शर्मा
‘द मान स्कूल’, दिल्ली
हमें हमेशा सत्य के रास्ते पर चलना चाहिए। कभी भी झूठ का सहारा नहीं लेना चाहिए। एक झूठ के पीछे हजारों झूठ बोलने पड़ते हैं। सच के रास्ते पर हम बहुत आगे निकल सकते हैं। परंतु झूठ हमेशा पीछे ही रखता है। इसीलिए हमें सदैव गांधी जी की बातों पर ध्यान रखकर सदैव सच बोलना चाहिए। जय हिंद। जय हिंद।
ReplyDeleteIt's really right
DeleteYes it's true lines
ReplyDeleteYes it is true lines
ReplyDeleteYes true lines 👍
ReplyDeleteYes it's true lines👍
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